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"सतगुरु नानक परगटया, मिटी धुंध जग चानन होया
ज्यों कर सूरज निक्ल्या, तारे छिपे हनेर प्लोया "
"अर्थात जैसे ही गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ , दुनिया से धुंध अर्थात अज्ञानता चली गई तथा प्रकाश का उद्भव हुआ , वैसे ही जैसे सूरज के निकलने के बाद तारे छुप जाते हैं और अंधेरा लुप्त हो जाता है "
जानिए जानिए क्या है गुरु पर्व यानी गुरु नानक जयंती का ऐतिहासिक महत्व-
सिख धर्म की स्थापना करने वाले एवं सिखों के प्रथम गुरु , गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस को गुरु नानक जयंती अर्थात गुरु पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदू एवं सिख लोगों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है l 27 नवंबर 2023, सोमवार को गुरु नानक देव जी का 554 वां जन्म दिवस मनाया जाएगा।
इस दिन गुरुद्वारों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है तथा दूर-दूर से आई संगतों द्वारा गुरु साहब के दर्शन किए जाते हैं तथा सरबत/संसार के भले के लिए संगत द्वारा अरदास की जाती है। गोल्डन टेंपल दुनिया की सबसे ज्यादा ब्राह्मण की जाने वाली जगहो में से एक है
एक छत के नीचे लाखों लोगों के लंगर का प्रबन्ध
अमृतसर स्थित गोल्डन टेंपल की रसोई को कम्युनिटी किचन भी कहा जाता है क्योंकि यहां प्रतिदिन 1 लाख से ज्यादा लोग लंगर में बना भोजन खाते हैं यहां सभी छोटे-बड़े लोग बिना किसी जात-पात या धर्म का भेदभाव किए एक साथ जमीन पर बैठकर लंगर का भोजन ग्रहण करते हैं।
कहां हुआ था गुरु नानक देव जी का जन्म-
सिखों के पहले गुरु , गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को , कतक पूर्णमाशी के दिन पिता मेहता कालू एवं माता त्रिप्ता जी के घर में वर्तमान पाकिस्तान के ननकाना साहिब में हुआ था l गुरु नानक देव जी की पत्नी का नाम माता सुलखनी जी और बच्चों का नाम बाबा श्री चंद जी और बाबा लख्मीचंद जी था l
अमृतसर के गोल्डन टेंपल यानी दरबार साहब में गुरु पर्व का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है दूर-दूर से लोग माथा टेकने तथा पवित्र सरोवर में स्नान करने आते हैं l